बीमार घोड़े-खच्चरों को राहत: 50% सब्सिडी पर मिलेगा चारा, चेतक-1 व चेतक-2 क्वारंटीन सेंटरों में होगी पूरी देखभाल

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श्रीकेदारनाथ यात्रा में घोड़े-खच्चर जहां श्रद्धालुओं की यात्रा को सहज बनाते हैं, वहीं इन पशुओं की सेहत से जुड़ी बड़ी चिंता अब जिला प्रशासन और पशुपालकों के सम्मिलित प्रयासों से हल होती दिख रही है। पिछले कुछ दिनों से घोड़ों और खच्चरों में इक्वाइन इंफ्लुएंजा के लक्षण पाए जाने के बाद, कई पशुओं की मृत्यु हुई। इस पर जिला प्रशासन ने तत्काल सख्त कदम उठाते हुए यात्रा मार्ग पर घोड़े-खच्चरों के परिचालन पर पूरी तरह रोक लगा दी है, जो अब भी जारी है।

चेतक-1 और चेतक-2 क्वारंटीन सेंटर में इलाज और देखभाल

पशुपालकों को तात्कालिक राहत देने के उद्देश्य से प्रशासन ने दो क्वारंटीन सेंटर – चेतक-1 और चेतक-2 स्थापित किए हैं। मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डॉ. आशीष रावत ने बताया कि बीमार घोड़े-खच्चरों को इन सेंटरों में लाकर रखा जा रहा है, जहां उन्हें स्वस्थ होने तक चारा, दवा और अन्य चिकित्सा सेवाएं निशुल्क प्रदान की जाएंगी

इसके साथ ही जिन पशुपालकों के पास इक्वाइन इंफ्लुएंजा से ग्रस्त पशु हैं, वे पशुपालन विभाग से प्रमाणपत्र दिखाकर चारा 50 प्रतिशत सब्सिडी पर खरीद सकते हैं। पंतनगर विश्वविद्यालय और हिसार के राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान संस्थान के विशेषज्ञों की टीम 18 चिकित्सकों के साथ सैंपलिंग और परीक्षण का कार्य लगातार कर रही है।

स्थानीयों ने की व्यापक जांच की मांग, प्रशासन की सराहना

स्थानीय निवासी एवं पशुपालक भी प्रशासन के साथ खड़े नजर आ रहे हैं। प्रधान संगठन उखीमठ के अध्यक्ष सुभाष रावत ने प्रशासन से अनुरोध किया है कि यात्रा मार्ग पर घोड़े-खच्चरों की आवाजाही पर रोक 3-4 दिन और बढ़ाई जाए, ताकि सभी पशुओं की पूर्ण जांच हो सके और बीमारी को जड़ से खत्म किया जा सके।

अवतार नेगी, संदीप पुष्पवाण, सुरेंद्र रावत सहित अनेक ग्रामीणों ने पशुपालन विभाग की त्वरित कार्रवाई की प्रशंसा की और विश्वास जताया कि प्रशासन और पशुपालक मिलकर इस संकट से जल्द पार पा लेंगे।

प्रशासन की अपील: संयम और सहयोग बनाए रखें

डॉ. आशीष रावत ने पशुपालकों से धैर्य बनाए रखने की अपील करते हुए कहा है कि बीमारी पर नियंत्रण के लिए हरसंभव कदम उठाए जा रहे हैं। इस कठिन समय में प्रशासन और पशुपालकों के बीच सहयोग ही सबसे बड़ा हथियार है।

मेरु रैबार की ओर से पशुपालकों और प्रशासन के साझा प्रयासों को नमन – यही है उत्तराखंड की असली ताकत।

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