उत्तराखंड की विश्व प्रसिद्ध हिमक्रीड़ा स्थली औली में स्नो मेकिंग के लिए बनाई गई कृत्रिम झील सरकारी लापरवाही के चलते इन दिनों सूखी पड़ी है। जिस जलस्त्रोत से झील को भरा जाता है, उससे झील तक आने वाली पाइप लाइन वर्षाकाल में क्षतिग्रस्त हो गई थी।

तभी से झील में पानी का प्रवाह बंद है और गढ़वाल मंडल विकास निगम (जीएमवीएन) ने इसको सुचारु करने के लिए कोई कदम नहीं उठाया। अब पाइप लाइन को दुरुस्त करने के लिए पत्राचार किए जाने की बात कही जा रही है।

पर्यटकों में छायी मायूसी

झील में पानी नहीं होने से पर्यटक जहां मायूस हैं, वहीं प्रस्तावित स्कीइंग प्रतियोगिताओं को झटका लग सकता है। उत्तराखंड के चमोली जिले में समुद्रतल से 9,500 फीट से लेकर 10,000 फीट तक की ऊंचाई पर स्थित औली अपनी सुरम्य वादियों के चलते पर्यटकों और स्कीयर्स की पहली पसंद है।

बर्फीली ढलानें, बुग्याल, देवदार के पेड़ और ऊंची पर्वत चोटियां प्रकृति प्रेमियों को यहां खींच लाती हैं। इस सबके साथ टावर संख्या आठ और 10 के बीच बनाई गई झील भी औली की सुंदरता को चार चांद लगाती है।

साल 2010 में बनाई गई थी झील

वर्ष 2010 में कृत्रिम बर्फ बनाने के लिए बनाई गई 65 मीटर लंबी और 20 मीटर चौड़ी इस झील में पहाडि़यों और आसपास के मनोरम ²श्यों का प्रति¨बब अलग ही एहसास कराता है। इस एहसास का आनंद उठाने के लिए दिनभर झील के आसपास पर्यटकों का जमावड़ा लगा रहता था। लेकिन इन दिनों झील के साथ ही यहां बैठने के लिए लगाई बेंच भी वीरान पड़ी हैं।

2500 क्यूबिक लीटर क्षमता की इस झील को लगभग 10 किमी दूर बोड़ाताल स्थित जलस्त्रोत से भरा जाता है। इसके लिए झील से जलस्त्रोत तक पाइप लाइन बिछाई गई है। झील का रखरखाव करने वाले जीएमवीएन के अधिकारियों का कहना है कि यह लाइन वर्षाकाल में क्षतिग्रस्त हो गई थी। तभी से झील में पानी नहीं आ रहा।

दावों के अनुरूप कार्य नहीं कर रही छह करोड़ की मशीन

औली में वर्ष 2011 में कराए गए विंटर सैफ गेम्स के लिए कृत्रिम बर्फ बनाने को आस्टि्रया से छह करोड़ रुपये में मशीन मंगाई गई थी। इसी मशीन के लिए झील का निर्माण हुआ था। लेकिन, यह मशीन अपनी कार्य क्षमता के दावों के अनुरूप कार्य नहीं कर पाई। विंटर सैफ गेम्स के बाद इस मशीन से कुछ मौकों पर ही कृत्रिम बर्फ बनाई गई।

यह झील औली की सुंदरता को चार चांद लगाती है। ऐसे में झील में पानी न होने से पर्यटक भी मायूस हो रहे हैं। पर्यटन विभाग को तत्काल पानी की लाइन की मरम्मत करानी चाहिए, ताकि पर्यटकों में नकारात्मक संदेश न जाए।