आपदा प्रभावितों का विस्थापन खुद में एक त्रासदी, लोग हैं मायूस; रोजगार है सबसे बड़ी चुनौती

जोशीमठ आपदा प्रभावितों को विस्थापित किए जाने की सरकारी मंशा सार्वजनिक हो जाने के बाद अब विस्थापन को लेकर बहस छिड़ गई है। आपदा प्रभावित कह रहे हैं कि सरकार अब विस्थापन के नाम पर 90 किमी की दूरी पर बमोथ में भूमि का प्रस्ताव सामने रखे जाने से इसे भी मरहम के बजाय एक आपदा की संज्ञा दी जा रही है।

वहीं जिस बमोथ गांव में विस्थापन को प्रस्ताव आपदा प्रबधन महकमा सामने लाया है वहां भी ग्रामीणों ने आपदा प्रभवितों को बसाने का विरोध करते हुए कहा कि प्रशासन ने यहां स्मार्ट सिटी बनाने की बात कही थी।

विस्थापन से जोशीमठ में हलचल

आपदा प्रभावित जोशीमठ में सरकार द्वारा कराई गई सर्वे के बाद वैज्ञानिकों ने आधे से अधिक नगर को हाई रिस्क पर रखा गया है। लगभग 1200 से अधिक भवनों को चिन्हित कर विस्थापन की बात कही जा रही है लेकिन इतने बड़े स्तर पर विस्थापन को लेकर आपदा प्रभावितों में हलचल है। एक बार फिर विस्थापन की रणनीति के विरोध में प्रभावित आंदोलन की राह पर चलने की रणनीति बना रहे हैं।

आपदा से प्रभावित जोशीमठ

विगत दिनों आपदा सचिव ने जिस प्रकार जोशीमठ में पहुंचकर जनसुनवाई के नाम पर प्रभावितों को गौचर के बमोथ में भूमि उपलब्ध होने का प्रस्ताव रखा। उसका त्वरित विरोध हो गया था। अब जिस प्रकार आपदा प्रभावितों के बीच हाई रिस्क क्षेत्र को लेकर जानकारियां सामने आई है उससे साफ है कि आधे से अधिक शहर को आपदा से बचाव के नाम पर खाली कराने की रणनीति है।

ये हैं सबसे ज्यादा प्रभावित क्षेत्र

नगर के नौ वार्डों में आपदा से सबसे ज्यादा प्रभावित क्षेत्र डाडो अपर बाजार वार्ड नंबर छ,मनोहर बाग वार्ड नंबर पांच ,सिंहधार वार्ड नंबर चार ,नृसिंह मंदिर वार्ड नंबरतीन , गांधी नगर वार्ड नंबर एक , रविग्राम वार्ड नंबर नौ वार्ड , मारवाड़ी वार्ड नंबर दो तथा सुनील वार्ड नंबर सात का एक हिस्सा भूधसांव के जद्द में है। सरकार यहां दुबारा सर्वे कर आपदा प्रभावित भवनों की संख्या अधिक बता रह है।

नगर को कराया जाना चाहिए खाली

अगर आपदा प्रबंधन विभाग की रणनीति धरातल पर उतरी तो प्रभावितों का कहना है कि अधिकतर नगर को खाली कराया जाना है। जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति के संयोजक अतुल सती का कहना है कि सरकार की मंशा अगर सचमुच विस्थापित करने की है तो शहर से लगे क्षेत्र में जो सुरक्षित भी है वहां विस्थापित किया जाना चाहिए।

विस्थापन किसी आपदा से कम नहीं

गौचर के बमोथ में विस्थापन को लेकर सरकार को पहले यह सोचना चाहिए कि जोशीमठ निवासियों का रोजगार, खेती बाडी, सहित अन्य जुड़ाव का क्या होगा। जोशीमठ में पर्यटन कारोबार से रोजगार है, लेकिन नई जगह में रोजगार के अवसर ही नहीं होंगे । ऐसे में आपदा प्रभावितों के साथ यह विस्थापन एक और आपदा के समान ही होगी।

आपदा प्रभावितों के लिए बने ढाक के भवन

आपदा प्रभावितों के लिए ढाक में बनाए गए 15 प्री फेब्रिकेटेड बनकर छ: माह से तैयार हैं। लेकिन इन हटों पर प्रभावित जाने को तैयार नहीं हैं। प्रभावितों को नगर से 15 किमी ढाक के ये भवन दूर लग रहे हैं। प्रशासन की कोशिशों के बाद भी किसी प्रभावित न यहां रहने के लिए आगे नहीं आया है। ऐसे में ये भवन भी बेकार पड़े हैं।प्रभावितों का तर्क है कि वे अपनी खेती बाड़ी, बच्चों के स्कूल,मवेशियों को छोड़कर कैसे जाएं।

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