सतत, शोध और शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले वैज्ञानिकों को सम्मानित किया गया

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देहरादून। सतत अनुसंधान एवं नवाचार में चुनौतियां व अवसर पर आयोजित राष्ट्रीय स्तरीय सम्मेलन में सतत, शोध और शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले वैज्ञानिकों को सम्मानित किया गया। राष्ट्रीय स्तरीय सम्मेलन सतत अनुसंधान एवं नवाचार में चुनौतियां व अवसर विषय पर आधारित राष्ट्रीय स्तरीय सम्मेलन का आयोजन स्पेक्स और स्पीकिंग क्यूब द्वारा आयोजित किया गया। यह सम्मेलन 24 मार्च को होटल पर्ल ग्रांड, देहरादून में आयोजित हुआ। इस दो दिवसीय सम्मेलन का उद्देश्य विशेषज्ञों, शोधकर्ताओं, शिक्षकों, नीति निर्धारकों और छात्रों को एक मंच पर लाने रहा, इसमें सतत अनुसंधान एवं नवाचार से जुड़ी महत्वपूर्ण चुनौतियों और अवसरों पर चर्चा की गई। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि, फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टिट्यूट देहरादून के पूर्व प्रमुख, प्लांट पैथोलॉजी विभाग के डॉ. यू. पी. सिंह ने कहा कि यह सम्मेलन पर्यावरणीय लक्ष्यों की ओर चलने में शैक्षिक अनुसंधान की भूमिका पर जोर देता है।
उन्होंने कबीर,गालिब सहित कई ऐसे नामों को अपने वक्तव्य से जोड़ कर सतत विकास एवं शोध अनुसंधानों पर अपनी बात रखी। मुख्य वक्ता, आई.आर.डी. के अध्यक्ष और एम.वी.डी.ए. के सचिव, डॉ. विनोद कुमार भट्ट ने इस सम्मेलन की महत्ता पर प्रकाश डाला। डॉ. विनोद कुमार भट्ट ने पारम्परिक खेती, आधुनिक खेती, खेती में उपयोग होने वाले विभिन्न प्रकार के रसायनों को जानकारी दी। उनके द्वारा वनीकरण, मिश्रित खेती वैश्विक स्तरीय खेती , खेती में हो रहे अनुसंधानों सहित खेती की चुनौतियों व उसके समाधान पर चर्चा की गई। मुख्य वक्ता, सी.ई.ओ. टर्न के आर. के. मुखर्जी ने सतत अनुसंधान एवं नवाचार की दिशा में अपने विचार साझा करते हुए आपदा प्रबन्धन के विषय में बताया कि आपदा और मानव का साथ सदा ही रहा है। परन्तु समय समय पर लोगों ने अपनी क्षमता के आधार पर आपदा से निपटने के तरीको का प्रयास किया। उनके द्वारा आपदा प्रबन्धन विषय को कई  उदाहरणों के माध्यम से सभी के सम्मुख रखा। कार्यक्रम संयोजक डॉ. बृज मोहन शर्मा ने कहा कि यह सम्मेलन एक मंच के रूप में कार्य करेगा, जहां शैक्षिक अनुसंधान को सतत अनुसंधान एवं नवाचार के संदर्भ में वैश्विक पर्यावरणीय लक्ष्यों, विशेष रूप से संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास उद्देश्यों से जोड़ने पर चर्चा की। प्रतिभागियों ने कई महत्वपूर्ण विषयों पर विचार किया, जिनमें शामिल हैं। हायर एजुकेशन में सस्टेनेबिलिटीरू यह विषय शैक्षिक संस्थानों की भूमिका पर केंद्रित होगा, जो सत्तता को बढ़ावा देने और शैक्षिक पाठ्यक्रमों में पर्यावरणीय जिम्मेदारी को एकीकृत करने में मदद करते हैं। नवाचार और पर्यावरणीय शोधरू पर्यावरणीय विज्ञानों में नवीनतम उन्नति और सतत समाधान में योगदान करने वाले शोध पर चर्चा की। शैक्षिक पाठ्यक्रमों में सस्टेनेबल प्रैक्टिसेज का एकीकरणरू सस्टेनेबल डेवलपमेंट प्रैक्टिसेज को शैक्षिक ढांचे में शामिल करने के उपायों पर विचार किया। इको-फ्रेंडली रिसर्च प्रैक्टिसेजरू अनुसंधान विधियों के पर्यावरणीय प्रभाव को कम करने के तरीके और अनुसंधान में सस्टेनेबिलिटी को बढ़ावा देने पर चर्चा की। यू एन एस डी जी एस और अकादमिक गवर्नेंस से संबंधित नीतियाँ और शासनरू यह चर्चा की कि कैसे नीतियां सस्टेनेबल रिसर्च और शैक्षिक गवर्नेंस के बीच के अंतर को पाट सकती हैं। यू एन एस डी जी एस से संबंधित शोधरू इसमें जलवायु क्रियावली, स्वच्छ ऊर्जा, और जिम्मेदार उपभोग पर ध्यान केंद्रित किया। सस्टेनेबल रिसर्च और इनोवेशन का भविष्य पर चर्चा हुई, जिसमें यह विचार किया गया कि आने वाला शोध पर्यावरणीय चुनौतियों का समाधान कैसे कर सकता है और एक सस्टेनेबल वैश्विक भविष्य में योगदान दे सकता है। विशेष सम्मान समारोह में उन प्रमुख व्यक्तित्वों को सम्मानित किया गया जिन्होंने सतत, शोध और शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। डॉ. रविंद्र शर्मा, एच आई एच टी, ले. (डॉ.) ब्रिजलता चौहान, डी आई टी, डॉ. नीती मिश्रा, डीआईटी, डॉ. राकेश कुमार, ग्राफिक एरा डिम्ड यूनिवर्सिटी, डॉ. मोहम्मद असलम, बी एफ आई टी, डॉ. पारुल सिंघल, माया देवी यूनिवर्सिटी, डॉ. सौरभ प्रताप सिंह राठौर, आई स ए, प्रो. सुषभान चौधरी, यू पी ई एस, प्रो. प्रसांति, यू पी ई एस सिद्धार्थ स्वामी, दून विश्वविद्यालय संगठन सचिव शामिल हैं। हरि राज सिंह ने कहा कि इस कार्यशाला में देशभर के 10 से अधिक विश्वविद्यालयों ने भाग लिया, जिसमें यू एन एस डी जी एस सस्टेनेबिलिटी के क्षेत्र में शोध और नवाचार विचारों की एक विस्तृत श्रृंखला प्रस्तुत की गई। कुल 379 शोध पत्र प्रस्तुत किए गए थे, जिनमें से 204 शोध पत्र को प्रस्तुति के लिए चयनित किया गया। यह अद्वितीय प्रतिक्रिया सतत अनुसंधान एवं नवाचार में बढ़ते रुचि और प्रतिबद्धता को दर्शाती है। चयनित शोध पत्र विभिन्न विषयों का प्रतिनिधित्व करते हैं, जो शोधकर्ताओं द्वारा  की प्राप्ति और विभिन्न क्षेत्रों में इको-फ्रेंडली प्रैक्टिसेज को बढ़ावा देने के महत्वपूर्ण योगदान को उजागर करते हैं। सम्मेलन में ग्रासरूट अवेयरनेस एंड टेक्निकल इंस्टीट्यूट ऑफ सोसायटी के सचिव नीरज उनियाल, बालेंदु जोशी, चंद्रा आर्य, और राम तीरथ मौर्य भी उपस्थित रहे।

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